
कांग्रेस में इन दिनों मतदाता सूची में गड़बड़ी (Vote Fraud) को लेकर जबरदस्त घमासान चल रहा है, और अब यह विवाद पार्टी के भीतर भी आग की तरह फैल गया है।
कर्नाटक के सहकारिता मंत्री केएन राजन्ना (KN Rajanna) ने न केवल अपनी ही सरकार की आलोचना की, बल्कि पार्टी नेता राहुल गांधी पर सीधे तौर पर वोट चोरी का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया।
राहुल गांधी पर क्यों भड़के KN राजन्ना?
KN राजन्ना का कहना है कि जब मतदाता सूची तैयार हुई, तब कांग्रेस की ही सरकार थी।
“क्या तब सभी आंखें बंद किए बैठे थे? अगर उस समय गड़बड़ी हुई तो हमारी भी जिम्मेदारी बनती है।” — KN राजन्ना
उन्होंने कहा कि महादेवपुरा क्षेत्र में एक व्यक्ति के तीन जगह वोट बने और उसने तीनों जगह मतदान किया।
मतदाता सूची में जब धोखाधड़ी हो रही थी, तब कांग्रेस सरकार को ऐतराज जताना चाहिए था। लेकिन तब पार्टी चुप रही और अब चुनाव आयोग पर दोष मढ़ा जा रहा है।
क्या है वोट चोरी विवाद?
इस पूरे विवाद की शुरुआत तब हुई जब 7 अगस्त 2025 को राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग और बीजेपी पर वोट चोरी का आरोप लगाया।
राहुल गांधी के आरोप:
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महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में 6.5 लाख वोटर्स में से 1 लाख से ज्यादा वोट फर्जी।
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एक ही नाम के एक से अधिक वोट, फर्जी पते, फोटो के बिना नाम, और Form-6 का गलत इस्तेमाल जैसे तरीकों से हेराफेरी।
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उन्होंने एक वोटर शकुन रानी का उदाहरण देते हुए कहा कि उसने 2 बार वोट डाला, और ECI के डेटा में भी यह दर्ज है।
कांग्रेस में अंदरूनी कलह
राहुल गांधी के इन आरोपों के बाद जहां पार्टी ने चुनाव आयोग और बीजेपी को निशाना बनाया, वहीं KN राजन्ना ने पलटवार कर पार्टी की पोल खोल दी।
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उन्होंने कहा कि वोटर लिस्ट की जिम्मेदारी कांग्रेस सरकार की भी थी।
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साथ ही उन्होंने राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए कहा – “हमें खुद पर शर्म आनी चाहिए, क्योंकि यह अनियमितता हमारी आंखों के सामने हुई थी।”
इन्हीं बयानों के चलते कांग्रेस हाईकमान ने उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी थी, लेकिन उससे पहले ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
राजनीतिक नुकसान या आत्मचिंतन?
KN राजन्ना के इस्तीफे से कांग्रेस की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। जहां राहुल गांधी चुनाव आयोग और बीजेपी पर आरोप लगा रहे हैं, वहीं पार्टी के अपने ही नेता उन आरोपों को खारिज कर रहे हैं और पार्टी की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं।
यह घटना यह भी दर्शाती है कि पार्टी के भीतर मतभेद गहराते जा रहे हैं और आगामी चुनावों से पहले कांग्रेस को अंदरूनी एकता और रणनीति दोनों पर काम करना होगा।
वोट चोरी विवाद अब सिर्फ राजनीतिक बहस नहीं रह गया, यह कांग्रेस की अंदरूनी स्थिति और नेतृत्व को लेकर सवाल खड़ा कर रहा है।
जहां एक ओर राहुल गांधी भ्रष्टाचार पर सख्ती दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता खुद उस सिस्टम को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं जिसका वो हिस्सा रहे हैं।